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गामा किरणें वायुमंडलीय ऑक्सीजन और नाइट्रोजन को तोड़ देती हैं. इससे ये गैसें नाइट्रोजन डाइऑक्साइड में परिवर्तित हो जाती हैं, जो शहरों के ऊपर सूर्य की रोशनी को रोकती है. इस धुंध के पूरी पृथ्वी पर छा जाने से धूप नहीं निकलेगी और वैश्विक हिमयुग शुरू हो जाएगा
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पृथ्वी को नष्ट करने के लिए वास्तव में एक विशाल अंतरिक्ष चट्टान की जरूरत होगी। जिसके टकराव से पूरी प्रथ्वी पर प्रलय आ जाएगा और जिवन की समाप्ति हो जाएगी।
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शोधकर्ताओं का कहना है कि जलवायु परिवर्तन पहले से ही हमारे महासागरों में ऑक्सीजन के स्तर को कम कर रहा है, जिससे संभावित रूप से समुद्री प्रजातियां खत्म हो रही हैं और यह भी विनाश का एक बड़ा कारण बन सकता है।
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इसरो, नासा जैसी स्पेस एजेंसियां मौजूदा वक्त में ऐसे ग्रह की खोज में जुटी हैं, जहां भविष्य में मानव जीवन संभव हो, क्युकी उन्हें विनाश की आशंकाएं पहले ही समझ आ चुकी है।
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वैज्ञानिकों की मानें तो ऐसा जरूर होगा लेकिन ये आज या कल में नहीं बल्कि 100 करोड़ साल बाद जाकर होगा, ऐसे मे हमे हमारी ही प्रथ्वी को साफ और स्वच्छ बनाने की पूरी कोशिश करनी चाहिए।
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