एम विश्वेश्वरैया का पूरा नाम मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया था. उनको देश के पहले सिविल इंजीनियर के तौर पर जाना जाता है. उनके जन्मदिन की तारीख 15 सितंबर को ही राष्ट्रीय इंजीनियर्स डे के तौर पर मनाया जाता है.
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साल 2023 में राष्ट्रीय इंजीनियर्स दिवस 2023 की थीम 'Engineering for a Sustainable Future' यानी कि 'सतत भविष्य के लिए इंजीनियरिंग' तय की गयी है
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एम विश्वेश्वरैया एक साधारण परिवार में जन्मे थे. मात्र 12 वर्ष की उम्र में उनके पिता का निधन हो गया
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तमाम कठिनाइयों से गुजरते हुए उन्होंने अपनी स्कूली पढ़ाई पूरी. साल 1883 में उन्होंने पूना के साइंस कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की
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कृष्णराजसागर बांध, भद्रावती आयरन एंड स्टील वर्क्स, मैसूर संदल ऑयल एंड सोप फैक्टरी, मैसूर विश्वविद्यालय, बैंक ऑफ मैसूर समेत अन्य कई महान उपलब्धियां सिर्फ एमवी की ही देन है
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एमवी ने स्टील के दरवाजे बनाए जो बांध से पानी के बहाव को रोकने में मददगार थे. उनके इस सिस्टम की ब्रिटिश अधिकारियों ने भी काफी प्रशंसा की. आज इस प्रणाली का इस्तेमाल पूरे विश्व में किया जाता है
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एम विश्वेश्वरैया के इस योगदान को देखते हुए आजादी के बाद साल 1955 में उन्हें भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया
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विश्वेश्वरैया 100 से भी अधिक आयु तक जीवित रहे थे और जब तक जीवित रहे सक्रिय रहे
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विश्वेश्वरैया का कहना था कि जब कभी भी बुढ़ापा मेरा दरवाजा खटखटाता है, मैं कह देता हूं कि विश्वेश्वरैया घर पर नहीं है. इससे बुढ़ापा निराश होकर लौट जाता है और मेरी उससे कभी मुलाकात ही नहीं होती.
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