अध्यापक दिवस (teacher's day) हर साल भारत में बड़े जोश और उत्साह से मनाया जाता है। यह हर साल 5 सितंबर को डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन के उपलक्ष्य पर मनाया जाता है। 

हमारे माँ-बाप के बाद एक शिक्षिक है जो ज़िन्दगी की सचाई के बारे में हमें अवगत करवाता है।

आज हम शिक्षक दिवस के मौके पर भारत की पहली टीचर के बारे में जानेंगे जो ऐसे समय में आगे आईं जब भारत में बहुत कम महिलाएं थीं जो घरों से बाहर निकलकर समाज में काम करती थीं।

सावित्रीबाई फुले भारत की प्रथम महिला अध्यापक थीं। इसके साथ-साथ वह एक समाज सुधरिका और मराठी कवियत्री भी थीं।

उनका जन्म 3 जनवरी 1831 को महाराष्ट्र के नायगांव में हुआ। इनका माता और पिता का नाम लक्ष्मी और खांडोजी नेवेशे पाटिल था। 

सिर्फ 9 साल की उम्र थी जब पहले की सावित्रीबाई की शादी ज्योतिराव फुले से कर दी गई। ज्योतिराव की उम्र भी महज 13 साल ही थी। 

सावित्रीबाई शादी तक बिलकुल अशिक्षित थीं। शादी के बाद उन्होंने लिखना और पढ़ना अपने पति ज्योतिराव से सीखा।

जब भी महिला अधिकारों की बात की जाती थीं तब उन पर कीचड़ फेंका जाता था। इसलिए वह अपने साथ एक साड़ी लेकर जाती और स्कूल में गंदी साड़ी को बदल लेती थीं।

भारत के पहले लड़कियों के स्कूल की शुरुआत 1 जनवरी 1848 में महात्मा जोतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले के द्वारा की गई जिसका नाम भिड़ेवाड़ी था

ऐसे समय में सावित्रीबाई इस मर्द प्रधान समाज में सामने आईं और लाखों चुनौतियों के बावजूद भी उन्होंने हार नहीं मानी

भारत आख़िर क्यों शिक्षक दिवस 5 सितंबर को ही मनाया जाता है? Swipe up करें